गर्दन का दर्द पेशीय प्रकृति का होता है न कि सीधे तौर पर तंत्रिकाओं के शामिल होने के कारण। (आयुर्वेदिक शब्दावली में शिरोबस्ती का अर्थ है गर्दन का दर्द।) शिरोबस्ती आमतौर पर सिर, कंधे, गर्दन आदि की मांसपेशियों पर अत्यधिक तनाव के परिणामस्वरूप होता है
, जो अनुचित मुद्रा में लंबे समय तक किताबें पढ़ने/लिखने या बहुत अधिक काम करने के कारण हो सकता है। बिना व्यायाम के डेस्क जॉब पर। शिरोबस्ती सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस, सर्वाइकल ऑस्टियोआर्थराइटिस आदि के कारण भी हो सकता है।
हमारा मस्तिष्क हमारे शरीर का सबसे प्रमुख अंग माना जाता है ,जो पूरे शरीर को चलाने में अहम भूमिका निभाता है ।जब कभी भी हमें सिर से जुड़ी कोई बीमारी या परेशानी होती है तो हमारे पूरे शरीर पर इसका कुप्रभाव पड़ता है। ऐसे ही जब हम सिर को पोषण देते हैं तो इसका लाभ भी हमारे पूरे शरीर को मिलता है।
आयुर्वेद चिकित्सा में सिर से जुड़ी सभी तरह की समस्याओं को दूर करने के लिए शिरोबस्ती नामक प्रक्रिया का वर्णन आता है। इस प्रक्रिया में सिर पर गर्म तेल डालकर कुछ समय के लिए रखा जाता है जिसे करवाने से सिर से जुड़ी कई तरह की बीमारियों से राहत मिलती है।
जैसे हमारी याद शक्ति बढ़ती है और तनाव कम होता है सिर दर्द ,बालों का झड़ना या बालों का जल्दी सफेद होना जैसी समस्याएं ठीक होती हैं |चेहरे के पक्षाघात को ठीक करने में यह प्रक्रिया सहायक सिद्ध होती है
Precaution:
- आंखों और कानो से जुड़ी समस्याएं ठीक होती हैं
- त्वचा को कोमल और चमकदार बनाता है
- अनिद्रा को दूर करता है
- दिमागी बीमारियां जैसे इनसाइटी और टेशन से राहत दिलाता है ।
प्रक्रिया से पहले चिकित्सक रोगी की प्रकृति की जांच करके शिरोबस्ती के लिए औषधीय तेल का चयन करता है, जैसे बाला ,आंवला जटामांसी, ब्रह्ममी, शंखपुष्पी आदि ।इस प्रक्रिया के लिए रोगी के सिर पर तेल डालने के लिए चमड़े की टोपी का प्रयोग किया जाता है, जिसका मुंह ऊपर से खुला रहता है। इसे गूंधे हुए आटे की सहायता से चारों ओर से सील किया जाता है
फिर रोगी के सिर पर गरम औषधीय युक्त तेल डाला जाता है।ठंडा होने पर रुई की सहायता से तेल को निकालकर दोबारा गर्म करके रोगी के सर पर डाला जाता है। 30 मिनट तक यह प्रक्रिया की जाती है। प्रक्रिया पूरी होने पर तेल को हटाकर टोपी को भी हटा दिया जाता है और रोगी के सिर, गर्दन, कंधों पर हल्के हाथों से गर्म तेल की मसाज दी जाती है।
रोगी को घर जाकर आराम करने के लिए कहा जाता है। कम से कम 2 घंटे तेल सिर पर लगा रहने दिया जाना चाहिए ।बाद में स्नान करने के लिए गर्म पानी का प्रयोग करना चाहिए।शिरोबस्ती आरामदायक चिकित्सा है जो मन और शरीर दोनों को शांति एवं आराम प्रदान करती है।
शिरोबस्ती करते समय हमें गरम तेल के तापमान का विशेष ध्यान रखना है ताके रोगी को किसी भी तरह की परेशानी ना हो। साक्षिप्त में हम कह सकते हैं के शिरोबस्ती सर और दिमाग से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए एक उत्तम और आरामदायक प्रक्रिया है
शिरोबस्ती के कारण
हर बीमारी के अपने कारण होते हैं, शिरोबस्ती कोई अपवाद नहीं है। जैसा कि मैंने ऊपर बताया, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं और उनमें से एक गलत खान-पान भी हो सकता है। पश्चिमी आहार जंक फूड और संतृप्त वसा पर आधारित है।
यदि आप नियमित रूप से स्वस्थ आहार का सेवन नहीं करते हैं, तो आपका शरीर शिरोबस्ती और अन्य पोषण संबंधी बीमारियों जैसे रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता खोना शुरू कर सकता है।
शिरोबस्ती के लक्षण
द्रव में कोशिकाएं या अन्य सामग्री हो सकती है जिसे माइक्रोस्कोप के तहत पहचाना जा सकता है। हाथ में मिलने पर शिरोबस्ती का रंग सफेद और साफ (पारदर्शी) होता है। शिरोबस्ती में कोई गंध नहीं है जबकि भुटक में दुर्गंध है।
शिरोबस्ती का कोई स्वाद नहीं है जबकि भुटक में नमकीन स्वाद है। इसमें कोई विदेशी पदार्थ नहीं है क्योंकि इसमें कोई सामग्री जमा नहीं है। शिरोबस्ती में खुजली या जलन नहीं होती है लेकिन भुतक लंबे समय तक मौजूद रहने या इससे जुड़े संक्रमण के कारण अपने स्थान पर खुजली और जलन पैदा करता है।